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प्रभु भक्ति में ही सच्चा सुख है : स्वामी सच्चिदानंद आचार्य

प्रभु भक्ति में ही सच्चा सुख है : स्वामी सच्चिदानंद आचार्य

कृषि मंत्री कमल पटेल पहुंचे कायागांव श्रीमद भागवत कथा श्रवण करने

लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

हरदा। निराकार परमात्मा जब नराकार होकर के इस धराधाम पर पधारते हैं तब सभी जीव जंतुओं का खुश और आनंदित होना स्वाभाविक है। यह उद्गगार लालासर साथरी धाम के महंत स्वामी सच्चिदानंद आचार्य  ने कायागांव में गीला विश्नोई परिवार के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन गुरुवार को कही। 


उन्होंने आगे कहा कि जो सच्चा सुख है वह भगवान के आने से ही मिलता है वहीं दूसरा सुख क्षणिक है।जिसने प्रभु की भक्ति का अनुभव या आनंद लिया है वही उसे समझ सकता है। प्रभु की बाल रूप की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में पालने में झूल रहे हैं। कई देवी देवता प्रभु के दर्शन करने पक्षियों सहित अन्य रूप में पहुंचे। भगवान शंकर भी रूप बदलकर प्रभु का दर्शन करते हैं। बाल स्वरूप में भगवान मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं। सभी खुश थे क्योंकि भगवान ने जन्म लिया। सब गाने लगे नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की और जमकर नृत्य करने लगे। बधाइयां बांटी जा रही है। दो लाख गाएं नंदजी ने दान दे दी। उम्र के इस पड़ाव में पुत्र मिला है वह भी कन्हैया के रूप में तो खुशी तो होना ही है। भगवान के आने से सभी जगह आनंद छा गया। 

परमात्मा भक्तों का मान रखने के लिए गृभ में भी आ जाते हैं। भगवान को कोई डर कोई भय नहीं। हम छोटे से सांप को देखकर डर जाते हैं और भगवान उसी सांप पर आराम से सोते हैं। जिस मकान में भगवान आ जाते हैं वह दिव्य हो जाता है। कथा के दौरान नेमावर में नर्मदा परिक्रमावासियों के लिए चल रहे अन्न क्षेत्र के लिए एक लाख रुपए राधेश्याम खोखर बैड़ागांव वालों ने सहयोग राशि दी। इसके अलावा कई भक्तों के द्वारा अन्न क्षेत्र के लिए सहयोग राशि दी गई।


कृषि मंत्री ने दिया जैविक खेती पर जोर :

कथा में शामिल हुए कृषि मंत्री ने उपस्थित किसानों से जैविक खेती अपनाने पर जोर दिया। कहा कि रसायनिक खेती से लोग बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। सबसे अधिक कैंसर से खतरा है। मेरे पास हर माह चार से पांच कैंसरे रोगी पहुंचते हैं। यह चिंता की बात है। डाक्टरों की माने तो आने वाले समय में कैंसर के रोगी बढेंगे। इसलिए हमें खुद और परिजनों की सुरक्षा के लिए जैविक खेती अपनानी होगी। गोमाता की रक्षा करें। दूध देना बंद करने के बाद उसे सड़क पर खुला ना छोड़ बल्कि उसकी घर सेवा करें।

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