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दूसरे राज्यों में कर्मचारियों को पदोन्नति लेकिन मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के साथ हो रहा अन्याय

दूसरे राज्यों में कर्मचारियों को पदोन्नति लेकिन मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के साथ हो रहा अन्याय

पदोन्नति रुकने के विरोध में लामबंद हुए अधिकारी-कर्मचारी संघ, MLA भी समर्थन में, 4 मार्च को ज्ञापन

लोकमतचक्र.कॉम।
भोपाल : प्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति 6 साल से रुके होने के मामले में अब मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा और गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन लामबंद होने लगे हैं। कर्मचारियों की विरोध की स्थिति को देखते हुए विधायकों ने भी उनकी मांग का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है और कर्मचारियों को पदोन्नति देने की बात कही है। 
विधायकों विशाल पटेल और राम चन्द्र दांगी ने कहा है कि दूसरे राज्यों में कर्मचारियों को पदोन्नति दी जा रही लेकिन मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है। इसलिए सरकार इस मामले में जल्द कार्रवाई कर कर्मचारियों को पदोन्नत करे और उनके लाभ दे।
उधर म.प्र. अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चे में शामिल मान्यता एवं गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लंबित मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को जिला कलेक्टरों के माध्यम से 4 मार्च को सौंपने का निर्णय लिया है। पत्रकारों से संयुक्त मोर्चे में सम्मिलित म.प्र. अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने ने उपरोक्त जानकारी दिनांक बुधवार को कहा कि सरकार कर्मचारियों एवं पेंशनरों की लंबित मांगों के प्रति उदासीनता बरत रही है। कर्मचारियों अधिकारियों ने सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि कोरोना महामारी से निपटने में प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने जान को न्यौछावर करते हुये ड्यूटी की और कई अधिकारी कर्मचारी अपनी जान गवां बैठे। प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रदेश के सामने आई त्रासदी में भरपूर साथ ही भर नहीं दिया बल्कि अपनी जांने गवाई, प्रदेश के विकास के लिए एक दिन का वेतन भी दिया गया लेकिन सरकार कर्मचारियों की सुविधा देने से पीछे हट रही है और पदोन्नति वेतनमान समेत अन्य सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है।
 
प्रेस को दी गई जानकारी में बताया गया कि सरकार द्वारा अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पेंशनरों को मंहगाई भत्ता नहीं दिये जाने के कारण आज प्रदेश के कर्मचारी 11 प्रतिशत पीछे हो गये है, वेतन वृद्वि देय दिनांक से नहीं दी गई और जब दी गई तो देय तिथि से एरियर का भुगतान नहीं किया गया। जो आधा अधूरा दिया गया उसे भी दो किस्तो में बांट दिया गया जिसमें एक क़िस्त  का भुगतान अभी तक नहीं किया गया। वर्ष 2016 से रुकी हुई पदोन्नति के मामले में प्रदेश सरकार कोई रुचि नहीं ले रही है जिसके कारण हजारों अधिकारी एवं कर्मचारी पदोन्नति की बाट देखते देखते सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। साथ ही स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू नहीं किया जा रहा है। आवास भत्ते की दरो को नहीं बढ़ाया जा रहा है, जिन संवर्गों में वेतन विसंगति व्याप्त हैं उनकी वेतन विसंगतियां दूर नहीं की जा रही है। एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जा रही है, पदनाम परिवर्तन, दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी, कोटवार, आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा रहा है। आशा एवं उषा कार्यकर्ता आंगनबाड़ी, कार्यकर्ता, जन स्वास्थ्य रक्षक की मांगो का निराकरण नहीं किया जा रहा है। निगम मंडलों में छठवां एवं पंचायत सचिवों को सातवां वेतनमान अभी तक नहीं दिया गया है। अनुकम्पा नियुक्ति में सरलीकरण नहीं किये जाने के कारण हजारों परिवार कार्यालयों के चक्कर लगाते भटक रहे हैं। इन मांगो के समर्थन में म.प्र.अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चे में सम्मिलित लगभग चार दर्जन से अधिक मान्यता एवं गैर मान्यता     प्राप्त कर्मचारी संगठन पूरे प्रदेश में मांगो  का ज्ञापन सौंपेंगे तथा मांगों का निराकरण नहीं होने की दशा में प्रदेशव्यापी आंदोलन करने का निर्णय लिया जावेगा।

 संयुक्त मोर्चे के आव्हान पर ये संगठन सम्मिलित रहेंगे आंदोलन में

बताया गया कि संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर मध्य प्रदेश प्रशासनिक सेवा संघ, राजपत्रित अधिकारी संघ,   म.प्र.तृतीय वर्ग शा.कर्मचारी संघ, म.प्र.लघु वेतन कर्मचारी संघ, म.प्र. कर्मचारी कांग्रेस, म.प्र.राज्य कर्मचारी संघ, म.प्र.अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ (अपाक्स), मध्य प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, म.प्र लिपिक वर्गीय शा.कर्मचारी संघ, मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ, म.प्र राजस्व निरीक्षक संघ, मध्य प्रदेश पटवारी संघ, मध्य प्रदेश शा. वाहन चालक यांत्रिकी संघ, म.प्र शिक्षक कांग्रेस, प्राध्यापक संघ, मध्य प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन, म.प्र. सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, म.प्र. अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स), निगम मंडल कर्मचारी समन्वय महासंघ आंदोलन में उतरेंगे। इनके साथ ही निगम मंडल कर्मचारी महासंघ, मध्य प्रदेश पंचायत सचिव संगठन, म.प्र तहसीलदार संघ, म.प्र.चिकित्सा अधिकारी संघ, मध्य प्रदेश मुख्य कार्यपालन अधिकारी संघ, मध्य प्रदेश नगर पालिका नगर निगम अधिकारी कर्मचारी संघ, पुरानी पेंशन बहाली संघ, संविदा अधिकार आन्दोलन प्रबंधन समिति, म.प्र स्थाई कर्मी संघ, म.प्र. समयपाल कर्मचारी संघ, म.प्र.पेंशनर एसोसिएशन संघ, मंडी बोर्ड कर्मचारी संघ संयुक्त मोर्चा, बैंकर कर्मचारी संघ संयुक्त मोर्चा, म.प्र.सहायक शिक्षक /शिक्षक मोर्चा संघ, नियमित शिक्षक संघ, समग्र शिक्षक संघ, प्रांतीय शिक्षक संघ, शासकीय अध्यापक संगठन, राज्य शिक्षक कांग्रेस, राज्य निर्माण विभाग कर्मचारी संघ, म.प्र पंजीयन विभाग अधिकारी कर्मचारी संघ, म.प्र.न्यायिक कर्मचारी संघ,  म.प्र.अतिथि विद्वान संघ, मध्य प्रदेश आपूर्ति अधिकारी  संघ, मध्य प्रदेश वित्त सेवा अधिकारी संघ, सामान्य पिछड़ा वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ (सपाक्स) भी मांगों के समर्थन में आंदोलन में साथ आ गए हैं। इसके अलावा
पंचायत समन्वय अधिकारी संघ, ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन संघ, प्रांतीय शासकीय शालेय व्याख्याता एवं प्राचार्य संघ, महिला एवं बाल विकास पर्यवेक्षक संघ, महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी संघ, समग्र प्राचार्य एवं व्याख्याता शिक्षक संघ, हैंडपंप टेक्नीशियन संघ, उन्नतशील अनुकंपा नियुक्ति कर्मचारी संघ, भू अभिलेख अधिकारी संघ, म.प्र. स्टेनोग्राफर संघ, मध्य प्रदेश विश्वविद्यालयीन (गैर शिक्षक) कर्मचारी महासंघ, मध्य प्रदेश आयुर्वेद होम्योपैथिक कर्मचारी संघ भी सरकार के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं।

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