Breaking News

किसानों को मिलने वाली नुकसान राहत पर भाजपा विधायक ने उठाये सवाल मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी

किसानों को मिलने वाली नुकसान राहत पर भाजपा विधायक ने उठाये सवाल

मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी

भोपाल - किसानों के लिए लगातार सामने आ रही राज्य सरकार की रियायत और आर्थिक लाभ देने की योजनाओं के बीच मंदसौर के किसानों को लेकर भाजपा के ही विधायक ने अनदेखी का आरोप लगा दिया है। विधायक ने सीएम को लिखी चिट्ठी में कहा है कि मंदसौर जिले के किसानों को लाभ नहीं दिया गया है।

मंदसौर जिले के भाजपा विधायक देवीलाल धाकड़ ने  किसानों को राहत नहीं मिलने का मामला उठाया है। उन्होंने कहा है कि इस साल मंदसौर जिले में हुई कम बारिश से और पिछले साल ज्यादा बारिश से हुए नुकसान के बदले राहत राशि का भुगतान नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसानों के हित में राहत राशि दिलाने की मांग का पत्र भी लिखा है।

प्रदेश में चार माह पहले बाढ़ और अतिवृष्टि से हुए 23 जिलों में नुकसान के बदले फसल और अन्य क्षति के मुआवजे की राशि का भुगतान शुरू होने के बाद मंदसौर में डेढ़ साल पहले आई बाढ़ का मामला चर्चा में आ गया है। विधायक गरोठ देवीलाल धाकड़ ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि 18 दिसम्बर को चालू साल में आई बाढ़ के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने किसानों को 1600 करोड़ का मुआवजा वितरित किया है। 

इसमें मंदसौर जिले का नाम नहीं है जिससे यहां के प्रभावित किसानों, नागरिकों को निराशा हुई है। कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में आई बाढ़ से हुए भारी नुकसान का जिक्र करते हुए धाकड़ ने कहा कि यहां के किसानों को वर्ष 2019 में आई बाढ़ की राहत राशि अभी तक नहीं दी गई है। इस अवधि में सिर्फ 25 फीसदी राहत राशि किसानों को दी गई थी और 75 फीसदी राशि का भुगतान किया जाना अभी तक शेष है। इतना ही नहीं इन किसानों के फसल बीमा की प्रीमियम की राशि स्टेट बैंक द्वारा काटी गई थी लेकिन उन्हें बीमा राशि का भुगतान नहीं किया गया। विधायक ने सीएम चौहान से मांग की है कि मंदसौर के किसानों को यह राहत राशि दिलाएं। गौैरतलब है कि मंदसौर में पिछले साल आई बाढ़ के दौरान तत्कालीन सीएम के तौर पर शिवराज भी वहां पहुंचे थे। 

2020 में कम बारिश से हुआ सोयाबीन को नुकसान

विधायक गरोठ धाकड़ ने कहा कि 2020 में कम बारिश के कारण यहां के किसानों की सोयाबीन की फसल का नुकसान हुआ है। इसकी राहत राशि का वितरण भी नहीं किया गया है। इसलिए सरकार से सोयाबीन के नुकसान की भरपाई के लिए पत्र लिखकर मांग की है।

कोई टिप्पणी नहीं