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ऐसा श्रेष्ठि जैन परिवार जहाँ पिता पुत्रादि देश की स्वतंत्रता के लिए जेल की सलाखो के पीछे बरसों रहे और छह सदस्य दिगंबर मुनि आर्यिका माताजी त्याग के रास्ते बढ़े...

ऐसा श्रेष्ठि जैन परिवार जहाँ पिता पुत्रादि देश की स्वतंत्रता के लिए जेल की सलाखो के पीछे बरसों रहे और छह सदस्य दिगंबर मुनि आर्यिका माताजी त्याग के रास्ते बढ़े...



देश को आजाद कराने के लिए अहिंसा परमो धर्म के हजारों जैन अनुयाई भी इस पुनीत पावन नेक कार्य अभियान आंदोलन से अछूते नहीं रहे हैं। अनेक जैनो ने पराधीन भारत को स्वतंत्र कराने में अविस्मरणीय अनुकरणीय सराहनीय प्रशंसनीय योगदान दिया है।महत्वपूर्ण विशेषता यही है कि जहां पूर्वजों ने स्वतंत्रता सेनानी बनकर देश को आजाद कराने में योगदान दिया है वही उनके संतानों ने जैन धर्म की ध्वजा संस्कारों सिद्धांतों को विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

76वें स्वतंत्रता दिवस पर आज हम प्रतीकात्मक कुछ परिवारों को स्मरण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए नमन करते हैं।
श्रेष्ठी श्री पदम चंद जी के पुत्र श्री मन्ना लाल जी पंचोलिया का जन्म सन 1896 को सनावद में हुआ। आजादी के लिए आंदोलन में भाग लेने के 1942 में 7 वर्ष की जेल हुई।


श्री पन्नालाल जी पंचोलिया
आपके पुत्र श्री चितरंजन पंचोलिया को तथा भाई श्री पन्ना लाल जी को भी जेल हुई।


श्री कुबेर चंद पंचोलिया
सनावद के ही श्री कुबेर चंद जी पंचोलिया को भी गिरफ्तार कर चेतावनी देकर छोड़ दिया।

धार्मिक रूप से देखा जाए तो पंचोलीया परिवार के छह सदस्य दिगंबर मुनि आर्यिका माताजी पद को सुशोभित कर रहे हैं।


आर्यिका श्री महायश मति माताजी
जिसमें प्रमुख रूप से वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी पूज्य मुनि श्री चारित्र सागर जी पूज्य मुनि श्री श्रेष्ठ सागर जी पूज्य क्षुल्लक श्री मोती सागर जी आर्यिका श्री सुदृढ़ मति माताजी तथा आर्यिका श्री महायश मति माताजी प्रमुख है।


श्री कमल चंद जी
आदरणीय श्री कमल चंद जी का जन्म 4 नवंबर 1 916 को हुआ स्वतंत्रता की लड़ाई में आपको 7 वर्ष की जेल भी हुई।


आर्यिका श्री देशना मतिश्री कमल चंद जी की पुत्री

आपकी संस्कारित पुत्री ने 14 अक्टूबर 2016 को आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से दीक्षा ग्रहण की आपका नाम करण आर्यिका देशना मति माताजी हुआ।

श्री मांगीलाल जी पाटनी का जन्म सन 1906 में हुआ सन 1917 में आप आपके चाचा श्री ऋषभ चंद जी पांड्या के यहां सनावद रहने आ गए। आपको सन 1942 में 14 माह की जेल तथा 7 वर्षों की इंदौर जेल भी हुई। आपके पुत्र श्री रतन लाल पाटनी ने भी अंतिम समय में दिगंबर मुनि दीक्षा धारण कर मुनि श्री सुहित सागर जी बने।आप की चाची श्रीमती कमलाबाई जी पांड्या ने भी दीक्षा लेकर आर्यिकाश्री तपस्वनी मति माताजी बनी।


श्री फकीर चंद जी
स्वत्रंत्रता सेनानी श्री फकीर चंद जी जैन का जन्म 19 अप्रैल 1923 को हुआ। स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने के कारण कुछ माह मंडलेश्वर जेल भी रहे।


मुनि श्री अपूर्व सागर जी
आपके पुत्र ने आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से दिगंबर जैन मुनि दीक्षा धारण कर पूज्य मुनि श्री अपूर्व सागर जी बने।
श्री मया चंद जी जटाले का जन्म श्री रतनलाल जी जटाले के यहां 21 दिसंबर 1915 को हुआ। सन 1942 में आपको गिरफ्तार किया गया 14 माह की जेल हुई इसके बाद मंडलेश्वर जेल 2 अक्टूम्बर को तोड़ने के आरोप में आप को 7 वर्ष की कैद हुई।
आप अविवाहित रहे आपके पड़पोते श्री नमन ने आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया
सनावद जैन समाज के श्री सुमेर चंद जी जैन को 7 वर्ष की सजा
श्री रूपचंद जी पाटनी तथा श्री सुमेर चंद जी जटाले को भी गिरफ्तार कर रिहा कर दिया। यह मात्र कुछ उदाहरण है कि देश भक्ति के साथ संतानो ने धर्म प्रचार में अपना जीवन समर्पित किया। लेखक : राजेश पंचोलिया इंदौर @साभार सोशल मीडिया

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