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फर्जी मौत बताकर राहत के नाम पर तहसीलदार के बाबू ने किया 11.16 करोड़ का घोटाला, हुई FIR दर्ज

फर्जी मौत बताकर राहत के नाम पर तहसीलदार के बाबू ने किया 11.16 करोड़ का घोटाला, हुई FIR दर्ज

भोपाल । प्रदेश के सिवनी जिले में सांप, बिच्छू काटने, बिजली गिरने तथा नदी-तालाब के पानी में डूबने से फर्जी मौत बताकर 279 जिन्दा लोगों को मुर्दा बता दिया गया। इसके बाद प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत दी जाने वाली चार लाख रुपए की सहायता के फर्जी केस तैयार कर 11.16 करोड़ रुपए इन फर्जी मृतकों के परिजनों के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए। प्रारंभिक जांच में आठ अलग-अलग बैंकों के 40 खातों में यह राशि ट्रांसफर होना पाई गई है और इसकी संख्या बढ़ सकती है। इस घोटाले में पुलिस ने एक तहसील कर्मचारी के विरुद्ध केस दर्ज किया है और जिन लोगों के खाते में राशि ट्रांसफर की गई है, उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। प्राकृतिक आपदा के बदले दी जाने वाली मदद में यह बड़ा घोटाला सामने आने के बाद जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।


करोड़ों रुपए के फर्जी भुगतान का यह मामला सिवनी जिले के केवलारी तहसील कार्यालय का है जहां के कर्मचारी सचिन दहायत को इसका सरगना बताया जा रहा है। सचिन नायब नाजिर के रूप में काम करता था। उसके कारनामों की पोल खुलने के बाद से वह फरार है लेकिन पूरे घटनाक्रम में तहसीलदार, एसडीएम और अपर कलेक्टर स्तर तक के अफसरों पर जांच की आंच आना तय है। शासन द्वारा प्राकृतिक आपदा से होने वाली मौतों के मामले में राशि मंजूर करने के अधिकार कलेक्टरों को दिए गए हैं और कलेक्टर आमतौर पर इसके अधिकार अपर कलेक्टर को देकर रखते हैं। ऐसे में 11.16 करोड़ रुपए इतनी अधिक संख्या में जिन्दा लोगों को मृत बताकर ट्रांसफर कर लिए गए और समीक्षा में इसका खुलासा दो साल बाद हुआ है तो अफसरों की कार्यशैली संदेह के घेरे में है। 

ऐसे किया फर्जी मृतकों के नाम पर भुगतान

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार तहसील कार्यालय में पदस्थ बाबू ने यह रकम उन लोगों के खातों में डाली जो पात्र ही नहीं थे। बताया गया कि आर्थिक सहायता के रूप में दी जाने वाली राहत राशि के फर्जी प्रकरण तैयार कर वह दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड  कर देता था। यह काम वह पिछले दो साल से वर्ष 2020 से कर रहा था। जांच में खुलासा हुआ है कि एक व्यक्ति के खाते में उसने चार से पांच बार तक राशि ट्रांसफर कराई है। 

रेवेन्यू आडिट में हुआ खुलासा

बताया जाता है कि दस दिन पहले राजस्व विभाग में आॅडिट शुरू हुई तो बाबू सचिन ने अचानक आॅफिस आना बंद कर दिया। इसके बाद जब अधिकारियों ने उसकी अलमारी खुलवाई तो राहत राशि के कई आदेश मिले। इनकी जांच में पता चला कि कई ऐसे लोगों के खातों में रुपए डाले गए हैं जो पात्र ही नहीं थे। अभी तक ऐसे 40 खातों की जानकारी सामने आई है, जिसमें रुपए डाले गए। आठ अलग-अलग बैंकों के इन 40 खातों को फिलहाल होल्ड कर दिया गया है। आदेश पत्रकों में लेटर पैड, सील व हस्ताक्षर सब फर्जी थे। अन्य दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इस खुलासे के बाद बाबू को सस्पेंड कर केवलारी थाने में एफआईआर कराई गई है और उसके विरुद्ध केस दर्ज कर जांच की जा रही है। 

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