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किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदेगी सरकार

किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदेगी सरकार

कृषि मंत्री कमल पटेल ने मुख्यमंत्री का प्रकट किया आभार

लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को भोपाल में हुई मंत्रीमण्डल की बैठक में किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ( Kamal Patel ) ने बताया कि केबिनेट की बैठक में ग्रीष्मकालीन मूंग का उत्पादन किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया गया है। इसके लिये कृषि मंत्री श्री पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाकर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिये कृत संकल्पित है। 


उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री (CM) शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन योजना लागू करने का निर्णय लिया। योजना का क्रियान्वयन संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से सभी जिलों में किया जायेगा। योजना की अवधि 2 वर्ष अर्थात वर्ष 2023-24 एवं वर्ष 2024-25 की होगी। इन 2 वर्षों में इस योजना में 23 करोड़ 25 लाख रूपए व्यय किए जाएंगे। किसानों को मोटे अनाज के उन्नत प्रमाणित बीज सहकारी व शासकीय संस्थाओं से 80 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जाएंगे। योजना की मॉनिटरिंग के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी। मिलेट मिशन योजना की गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मिलेट फसलों के उत्पादन, प्र-संस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने के लिए किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण होंगे। मिलेट को बढ़ावा देने के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर मेले, कार्यशाला, सेमीनार, फूड फेस्टिवल, रोड-शो किए जाएंगे।


 उल्लेखनीय है कि मिलेट अनाज की फसलें कभी प्रदेश की खान-पान की संस्कृति के केंद्र में थी। वर्तमान में इन फसलों के पोषक महत्व को दृष्टिगत रखते हुए इन्हें बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। इन फसलों की खेती प्रायः कम उपजाऊ क्षेत्रों में की जाती है। वर्तमान में उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से मिलेट फसलों की माँग बढ़ रही है। कोदो, कुटकी, रागी, सांवा जैसी फसलें स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभदायक हैं। इन मिलेट फसलों के महत्व के दृष्टिगत इनको पोषक अनाज का दर्जा दिया गया है। इन फसलों के अनाज आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि से भरपूर होते हैं। साथ ही इनमें वसा का प्रतिशत भी कम होता है, जिससे हृदय रोगी एवं डायबिटीज रोगियों के द्वारा इनका उपयोग सुरक्षित पाया गया है। इसलिए किसानों के बीच मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने एवं मिलेट फसलों से तैयार व्यंजनों का प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है। मध्यप्रदेश में कोदो-कुटकी, ज्वार एवं रागी के क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता एवं उत्पादन वृद्धि की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। साथ ही मिलेट फसलों के बढ़ते बाजार के दृष्टिगत मूल्य संवर्धन अर्थात वेल्यू एडिशन की संभावना भी काफी अधिक है। प्रदेश में शासकीय कार्यक्रमों में जहाँ भोजन की व्यवस्था की जाती है, एक व्यंजन मोटे अनाज का भी रखा जायेगा। छात्रावास एवं मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन मोटे अनाज का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था की जायेगी।

गेहूँ निर्यात पर मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति संबंधी संशोधन की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद ने गेहूँ निर्यात पर मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति संबंधी विभागीय अधिसूचना 7 अप्रैल 2022 में संशोधन की स्वीकृति दी। संशोधन अनुसार प्रदेश के किसी भी कृषि उपज मंडी क्षेत्र में निर्यात के उद्देश्य से क्रय की गई अधिसूचित कृषि उपज ‘गेहूँ’ पर मंडी फीस की प्रतिपूर्ति का लाभ प्रदान करने पर विचार किया जायेगा। मंडी फीस की प्रतिपूर्ति, अधिसूचित कृषि उपज ‘गेहूँ’ की भुगतान पत्रक से क्रय की गई मात्रा पर प्राप्त होगी। देश के अन्य राज्यों से व्यापारियों द्वारा वाणिज्यिक प्रयोजन के अनुक्रम में क्रय एवं विक्रय की गई अधिसूचित कृषि जिन्स पर मंडी फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की जायेगी। 

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