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सरकारी खरीद के दौरान किसान की उपज में अप्रत्याशित वृद्धि की जांच करायेगी सरकार . . . एसडीएम, तहसीलदार करेंगे जांच

सरकारी खरीद के दौरान किसान की उपज में अप्रत्याशित वृद्धि की जांच करायेगी सरकार . . .

एसडीएम, तहसीलदार करेंगे जांच

भोपाल - प्रदेश में अब सरकारी खरीदी के दौरान किसान की उपज में पिछले वर्ष की तुलना में अप्रत्याशित वृद्धि मिलने पर एसडीएम, तहसीलदार द्वारा उसका सत्यापन किया जाएगा कि किन कारणों से अचानक वृद्धि हुई है। उसके बाद उसकी उपज निर्धारित मूल्य पर क्रय की जा सकेगी जिससे अन्य राज्यों की फसल गलत तरीके से बिचालिये किसान के नाम पर प्रदेश में निर्धारित मूल्य पर नहीं बेच सकें।

प्रमुख सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण फैज़ अहमद किदवई ने बताया कि उपार्जन नीति में नए प्रावधानों से किसानों को अपनी उपज बेचने में और अधिक सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि किसानों के नाम में दूसरे प्रदेशों से कम दर पर उपज खरीदकर प्रदेश में निर्धारित दर पर बेचने वाले बिचौलियों पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा।


उपार्जन का काम अब एफपीओ को भी

उन्होंने बताया कि अभी तक उपार्जन का काम केवल सहाकारी समिति एवं एन आर एल एम के समूह ही किया करते थे परंतु अब नए प्रावधानों में एफ. पी. ओ. (फार्मर प्रोडक्स आर्गेनाईजर) को भी इसका दायित्व सौंपा जाएगा जिससे उपार्जन कार्यो में बढ़ती भारी भीड़ एवं देरी को कम किया जा सकेगा।

मिलर्स प्वाइंट पर उपार्जन केन्द्र होंगे स्थापित


प्रमुख सचिव किदवई ने बताया कि अब मिलर्स केन्द्रों पर ही उपार्जन केन्द्रों की स्थापना का प्रावधान भी रखा गया है। वर्तमान में उपार्जन केन्द्रों से अनाज को परिवहन कर भंडार गृह में सुरक्षित रखने के लिए भेजा जाता था। उसके बाद उसे मिलर्स प्वाइंट तक पुन: परिवहन कराया जाता था एवं मिलिंग के बाद आवश्यकता अनुसार पुन: शेष धान को भंडारण किया जाता था परंतु अब नए प्रावधान से मिलर्स प्वाइंट पर ही उपार्जन केन्द्र बनाए जाने से उपज को सीधे ही मिलर्स केन्द्रों पर भेजा जाएगा। इससे परिवहन एवं भंडारण के अतिरिक्त व्यय एवं समय की बर्बादी पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

10 प्रतिशत केन्द्रों पर अतिरिक्त सर्वेयर

उन्होंने बताया कि उपार्जन नीति में किए गए नए प्रावधानों में 10 प्रतिशत उपार्जन केन्द्रों पर अतिरिक्त सर्वेयर का प्रावधान रखा गया है।। इसके साथ ही किसानों को भेजे जाने वाले एसएमएस की वैधता अवधि 15 दिन कर दी गई है जिससे किसान को अपनी उपज बेचने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि अपात्र संस्थाओं को कार्य देने के पूर्व संबंधित कर्मचारी से राशि जमा कराने का प्रावधान रखा गया है। किसानों को मोबई एप के माध्यम से स्वीकृति पत्रक जारी करने की व्यवस्था की गई है। गोदाम एवं केप स्तर से नॉन एफक्यू स्कन्ध की वापस के लिए अधिक 7 दिवस की सीमा रखी गई है।

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