समय से पहले बुआई ओर उचित बीज का उपयोग नहीं करने के कारण गेहूं की फसल में लग रहा रोग
समय से पहले बुआई ओर उचित बीज का उपयोग नहीं करने के कारण गेहूं की फसल में लग रहा रोग
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया खेतों का भ्रमण
हरदा। हरदा में रबी फसलो के निरीक्षण हेतु गेहॅू के आंचलिक अनुसंधान केन्द्र, इन्दौर के निदेशक डाॅ. एस.बी. सांई प्रसाद, पादप रोग वैज्ञानिक डाॅ. प्रकाश टी एल व किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उपसंचालक, श्री एम.पी.एस. चन्द्रावत, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री कपिल बेडा एवं कृषि विज्ञान केन्द्र हरदा के वैज्ञानिक डाॅ. आर.सी. शर्मा, डाॅ. एस.के. तिवारी, डाॅ. सर्वेश कुमार, डाॅ. मुकेश कुमार बंकोलिया आदि के संयुक्त दल द्वारा ग्राम बून्दडा, बालागांव, सिरकम्बा, महेन्द्रगांव, सिराली, रोलगांव एवं अबगांवखुर्द में भ्रमण कर फसलो का निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान गेहॅू फसल में जिन स्थानो पर हेड ब्लाइड बीमारी के लक्षण दिखाई दिए, जिसमें कृषको द्वारा समय से पहले बुआई, उचित बीज दर का उपयोग नही किया जाना, गभोट की अवस्था में स्प्रिंकलर से सिंचाई की गई है। हेड ब्लाईड रोग का प्रमुख लक्षण गेहॅू की बालियां उपर से नीचे की ओर सफेद होते अथवा सूखती हुई दिखना है।
डाॅ. सांई प्रसाद द्वारा कृषको को सलाह दी गई कि, कृषक भाई गेहॅू फसल की उचित समय पर बुआई करे, बीचोपचार कर ही बुआई करे, उचित बीज दर का प्रयोग करे, गभोट की अवस्था पर स्प्रिंकलर द्वारा सिंचाई न करे एवं गेहॅू फसल में हेड ब्लाईट रोग के लक्षण दिखाई देने पर फंफूदनाशी प्रोपिकोनेजोल अथवा टेबुकोनोजोल 250 मि.ली. प्रति एकड़ हाथ पंप से 200-250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे, साथ ही कृषको को फंफूदनाशक , कीटनाशक एवं अन्य किसी रसायन को आपस में मिलाकर छिड़काव न करने की समझाइश दी गई।
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