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देश भर में हो शराबबंदी, सरकारी तंत्र का शराब दुकानें खोलना बच्चे को मां द्वारा जहर देने जैसा - उमा भारती

देश भर में हो शराबबंदी, सरकारी तंत्र का शराब दुकानें खोलना बच्चे को मां द्वारा जहर देने जैसा - उमा भारती

भोपाल - पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा है कि अगर देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है। जैसे मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक को पोषण करते हुए रक्षा करने की होती है, वही मां अगर बच्चे को जहर पिला दे तो बच्चे की मौत हो जाती है। सरकारी तंत्र के द्वारा शराब की दुकानें खोलना ऐसे ही है।

गुरुवार को अलग अलग किये 8 ट्वीट के जरिये उमा भारती ने देश भर में शराब बंदी की मांग कर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं है। शराब बंदी से राजस्व को हुई क्षति को कहीं से भी पूरा किया जा सकता है किंतु शराब के नशे में बलात्कार, हत्याएं, दुर्घटनाएं, छोटी बालिकाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं भयावह हैं तथा देश एवं समाज के लिए कलंक हैं।

उमा ने ट्वीट में कहा कि मैं तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक अपील करती हूं कि जहां भी भाजपा की सरकारें हैं उन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिए। राजनीतिक दलों को चुनाव जीतने का दबाव रहता है। बिहार की भाजपा की जीत यह साबित करती है कि शराबबंदी के कारण ही महिलाओं ने एकतरफा वोट नीतीश कुमार को दिये।

अब तक दुकानें नहीं बढ़ाने के फैसले पर अभिनंदन

उमा भारती ने ट्वीट कर कहा है कि मध्यप्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के बारे में सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। सीएम शिवराज सिंह का यह वक्तव्य अभिनंदनीय है। कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय पर लगभग शराबबंदी की स्थिति रही। इससे यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि अन्य कारणों एवं कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई किंतु शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा।

शराब माफिया का दबाव नहीं होने देता शराब बंदी

उन्होंने कहा कि अभी हाल में यूपी एवं एमपी में शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई। सड़क दुर्घटनाओं के अधिकतर कारण तो ड्राइवर का शराब पीना ही होता है। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि शराब मृत्यु का दूत है। फिर भी थोड़े से राजस्व का लालच एवं शराब माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है।

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