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लापता तहसीलदार ठाकुर का तीन दिन बाद भी नहीं लगा सुराग

लापता तहसीलदार ठाकुर का तीन दिन बाद भी नहीं लगा सुराग 

अपहरण की शिकायत की परिजनों ने, गायब ट्रेनी कैप्टन का मिला शव


भोपाल : मध्यप्रदेश तहसीलदार संघ के प्रांताध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर 15 अगस्त से अब तक लापता हैं। उनका न तो शव मिला है और न ही कहीं अन्य होने की जानकारी मिली है। ऐसे में परिजनों ने उनके अपहरण की आशंका जताई है और पुलिस को आवेदन कर तलाश करने को कहा है। उधर सीहोर जिला प्रशासन ने अब नदी में ठाकुर की तलाश के लिए एनडीआरएफ की टीम मांगी है और शुक्रवार से रायसेन से आई टीम अपने स्तर पर तलाश में जुट गई है। 

स्वतंत्रता दिवस की रात सीहोर के पास उफनती सीवन नदी में कर्बला पुल के पास आई 20 कार में सवार तहसीलदार नरेंद्र सिंह ठाकुर और पटवारी महेंद्र रजक के कार समेत बहने के कयास के बाद तीसरे दिन कार और रजक का शव एसडीआरएफ की टीम को बरामद हो गया था लेकिन अब तक तहसीलदार ठाकुर का पता नहीं चला है। परिजनों ने इसे देखते हुए उनके अपहरण की आशंका जताई है और पुलिस से इस दिशा में जांच करने के लिए कहा है। परिजन अभी भी यह मानकर चल रहे हैं कि तहसीलदार ठाकुर जिंदा हैं। दूसरी ओर सीहोर प्रशासन ने रायसेन जिले से एनडीआरएफ की टीम को बुलवाया है। यह टीम करबला पुल से पार्वती नदी के मुहाने तक अपने सूक्ष्म यंत्रों के जरिये तलाश करेगी ताकि अगर बहाव में बहे ठाकुर का शव मिट्टी में दबा हो तो उसे तलाशा जा सके। एसडीआरएफ के पास ऐसे उपकरण नहीं होने से अब तक जानकारी नहीं मिल सकी है। 

उधर लापता ट्रेनी कैप्टन का शव मिला 

दूसरी ओर नर्मदापुरम के पचमढ़ी आर्मी एजुकेशन सेंटर (एईसी) के लापता ट्रेनी कैप्टन का शव मिल गया है। उनका शव घटनास्थल से 2 किमी दूर बबूल के पेड़ पर फंसा हुआ था। कैप्टन 15 अगस्त को जबलपुर से पचमढ़ी के लिए कार से निकले थे। जबलपुर में भारी बारिश के बीच लेफ्टिनेंट पत्नी से मिलकर लौट रहे थे। उनकी आखिरी लोकेशन नर्मदापुरम जिले के माखननगर में नसीराबाद रोड बछवाड़ा में नदी की मिली थी।
ट्रेनी कैप्टन निर्मल शिवराजन (32) की कार सुबह बछवाड़ा नदी में मिली थी। यह पुल से करीब 100 मीटर दूर गहरे पानी में थी। पुलिस ने बताया कि कार मिलने के बाद गोताखोर और आर्मी के जवानों के साथ नाव से सर्चिंग की तो बबूल के पेड़ में फंसा शव नजर आया। 
कर्नाटक के रहने वाले ट्रेनी कैप्टन पचमढ़ी आर्मी एजुकेशन सेंटर में प्रशिक्षण ले रहे थे। जबलपुर में उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट गोपीचंदा रहती हैं। तीन महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी। 13 अगस्त को वे पत्नी से मिलने जबलपुर गए थे। 16 अगस्त को सुबह 6 बजे उन्हें सेंटर पहुंचना था, वे सेंटर नहीं पहुंचे। ऐसे में कैप्टन की पत्नी लेफ्टिनेंट गोपीचंदा से संपर्क किया गया तो पता चला वे 15 अगस्त को ही कार से दोपहर करीब साढ़े 3 बजे पचमढ़ी के लिए रवाना हो गए थे। 
रात 8 बजे पत्नी से उनकी मोबाइल पर आखिरी बार बात हुई थी। जबलपुर से बनखेड़ी, पिपरिया होते हुए पचमढ़ी पहुंचने का सीधा रास्ता है, लेकिन ज्यादा बारिश होने से पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। ऐसे में वे बाड़ी, बरेली, नसीराबाद मार्ग होते हुए पचमढ़ी जा रहे थे। उन्होंने पत्नी से इस बात का जिक्र भी किया था।

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