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आत्म कल्याण का महापर्व पर्युषण पर्व, क्षमा धर्म की प्रार्थना के साथ आज से हुए शुरू

आत्म कल्याण का महापर्व पर्युषण पर्व, क्षमा धर्म की प्रार्थना के साथ आज से हुए शुरू

दिगम्बर जैन समाज के द्वारा हर्षोल्लास से दशलक्षण विधान रचाकर शुरू कि पूजा अर्चना


लोकमतचक्र डॉट कॉम।

हरदा : श्री दिगंबर जैन समाज के आत्म कल्याण के महापर्व पर्युषण पर्व का शुभारंभ आज हो गया जो कि आगामी दस दिनों तक  31 अगस्त से 9 सितंबर तक मनाया जाएगा। इस अवसर पर नगर के चारों दिगम्बर जैन मंदिरों में सुबह श्रीजी की प्रतिमा का अभिषेक, शांतिधारा, सामुहिक पूजन होगा। नगर के खेड़ीपुरा स्थित बड़े जैन मंदिर में पर्वराज पयूषण पर्व परम पूज्य आर्यिका रत्न 105 सरसमति माताजी एवं 105 आर्यिका सुबोधमति माताजी के पावन सानिध्य एवं मार्गदर्शन में बड़ी धूमधाम से मनाया जावेगा। पर्व के प्रथम दिन जैन धर्मावलंबियों ने क्षमा धर्म की पूजन की, आज के दिन नगर के बड़े जैन लाल मंदिर में शांति धारा का सौभाग्य रितेश, राहुल, रूपेश, स्वदेश, स्वतंत्र, स्वासिक गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ।


उक्त जानकारी देते हुए जैन समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन एवं कोषाध्यक्ष राजीव रविन्द्र जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व पर प्रतिदिन प्रातः 05.30 बजे से 06.00 बजे तक ध्यान, प्रातः 07:00 बजे से 08.30 बजे तक अभिषेक एवं दिव्य शांतिधारा, प्रातः 08:30 बजे से 09.15 बजे प्रवचन (पूज्य माताजी के द्वारा दशलक्षण धर्म पर), प्रातः 09.15 बजे से प्रातः 10.00 बजे नित्यनियम पूजा एवं विधान की पूजा संपन्न होगी। तत्पश्चात तत्वार्थ सूत्र वाचन अर्थ सहित होगा।

संध्याकालीन कार्यक्रम में सायं 06.00 बजे प्रतिक्रमण, रात्रि 07:00 बजे संगीतमयी आरती, रात्रि 07:30 बजे णमोकार मंत्र का पाठ एवं रात्रि 08:30 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम (महिला परिषद द्वारा) आचार्य विद्यासागर भवन में संपन्न होंगे।

समाज के उपाध्यक्ष प्रदीप अजमेरा एवं विशाल बकेवरिया ने बताया कि आर्यिका श्री सुबोधमति माताजी के द्वारा प्रतिदिन धर्म के अनुसार उत्तम क्षमा से लेकर उत्तम ब्रह्मचर्य तक दस लक्षणों पर अलग-अलग दिन प्रवचन किये जायेंगे। इसके बाद 11 सितंबर को समाजजन की सामूहिक क्षमावाणी का आयोजन होगा। 

उल्लेखनीय है कि पर्युषण पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है। पर्व की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर बुधवार से होगी। इस दौरान धूप दशमी 5 सितंबर को मनाई जाएगी। 4 सितंबर को अष्टमी व नवमी एक दिन होगी। पहले दिन उत्तम क्षमा, दूसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन उत्तम आर्जव, चौथे उत्तम सत्य, पांचवें दिन उत्तम शौच, छठे दिन संयम, सातवें दिन उत्तम तप, आठवें दिन उत्तम त्याग, नौवें दिन उत्तम आंकिचन और दसवें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य पर शास्त्र वाचन होंगे।

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