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बाप ने 22 साल पहले भ्रष्टाचार किया था, उसकी मौत के बाद 2 बेटों को 4 - 4 साल की सजा

दुर्लभ मामला MP का : न्यायालय ने 17 वर्ष ट्रायल चलने के बाद सुनाया फैसला

बाप ने 22 साल पहले भ्रष्टाचार किया था, उसकी मौत के बाद 2 बेटों को 4 - 4 साल की सजा

लोकमतचक्र डॉट कॉम।

जबलपुर : पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर पिता के 22 साल पहले किए गए भ्रष्टाचार में उसके दो बेटों को भागीदार मानकर लोकायुक्त की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को 44 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों पर 30-30 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। इसके अलावा सभी चल और अचल संपत्ति नीलाम करके राजसात करने का आदेश भी दिया है। संभवतः प्रदेश का पहला ऐसा मामला होगा, जिसमें पिता के कार्य में बेटों को लिप्त मानकर सजा सुनाई गई हो।


भ्रष्टाचार का यह मामला कोर्ट में 17 साल तक ट्रायल के दौरान पिता की मौत हो गई थी। कोर्ट ने जिन दो भाइयों को सजा सुनाई, वे जबलपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता गया प्रसाद (जीपी) पाठक लोकायुक्त की कार्रवाई के दौरान सागर में पीडब्ल्यूडी में अधीक्षण यंत्री के पद पर पदस्थ थे। सुनवाई के दौरान दोनों बेटे प्रशांत (49) और पंकज (47) ने परिवार की संपत्ति अर्जित करने के स्रोत को प्रमाणित नहीं कर पाए। लोकायुक्त की कार्रवाई के समय दोनों बालिग थे। विशेष न्यायाधीश अक्षय कुमार द्विवेदी की अदालत में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 22 नवंबर 1995 को लोकायुक्त टीम ने तत्कालीन पीडब्ल्यूडी अधीक्षण यंत्री जीपी पाठक के सागर स्थित ऑफिस और जबलपुर स्थित निवास पर एक साथ छापा मारा था। इस दौरान आय के अर्जित स्रोतों से 60 लाख रुपए की अधिक संपत्ति जब्त की गई। इसी आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्रकरण कायम किया गया।

पिता के काम में थे भागीदार संपत्ति का ले रहे हैं लाभ :

ट्रायल के दौरान मुख्य आरोपी जीपी पाठक की 2011 में मौत हो गई। सुनवाई के दौरान लोकायुक्त की स्पेशल कोर्ट ने पाया कि छापे के दौरान उसके दोनों बेटे बालिग थे और भ्रष्टाचार के पीछे दुष्प्रेरण ( उनका भी हाथ होना, प्रेरित करना) के आधार पर सहअभियुक्त की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति का पूरा लाभ लिया है। इसीलिए उन्हें पिता के न रहने के बाद भी भ्रष्टाचार से अर्जित की गई आय से अधिक संपत्ति के केस में आरोपी पाते हुए सजा सुनाई जाती है। कोर्ट ने छापे के दौरान सामने आए 22 लाख रुपए के नकदी आभूषण भी राजसात करने के निर्देश दिए हैं।


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