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कम्प्युटराइज्ड सिस्टम से सब्जी की खेती कर रहा गांव का किसान आटोमेशन तकनीक ने आसान की खेती, पैदावार में भी हो रहा इजाफा

कम्प्युटराइज्ड सिस्टम से सब्जी की खेती कर रहा गांव का किसान

आटोमेशन तकनीक ने आसान की खेती, पैदावार में भी हो रहा इजाफा

विजय सिंह ठाकुर✍️

हरदा। जिले के छोटे से गांव चारखेड़ा के किसान ने आधुनिक तकनीक अपनाकर खेती को फायदे का धंधा बना लिया है। परंपरागत खेती में होने वाले नुकसान और कम नफे को देखते हुए उसने कुछ अलग हटकर करने की ठान ली थी। बस फिर क्या था किसी तरह जानकारी जुटाकर वह जा पहुंचे रायपुर, जहां पर आटोमेशन तकनीक की बारीकियां सीखी और आ गये वापस अपने गांव। यहां पहुंचते ही उन्होने जो कुछ रायपुर में सीखा था उसे अपने खेत में हु ब हु उतार डाला। यह किसान हरदा जिले में ही नहीं संभवत: संभाग में काफी नाम कमा चुके हैं। 

पूरे संभाग में गिनती के ही किसान हैं जो इस प्रकार की कम्प्युटराज्ड खेती कर रहे हैं। इस किसान का नाम है राजेश गुर्जर। किसान राजेश गुर्जर का मानना है कि खेती राजा का काम है और नौकरी के बारे में तो सभी जानते हैं। उन्होने बताया कि इस आटोमेशन तकनीक से खेती करना काफी आसान हो गया है। एक बार इंसान गलती कर सकता है मगर कंम्प्युटर नहीं। इसमें ऐसे प्रोग्राम फीड है जो जरूरत के मुताबिक पौधों को खाद, पानी, दवा, टानिक आदि समय-समय पर देते हैं।

मल्टी क्रॉप में नुकसान ज्यादा होने की संभावना

कृषक राजेश गुर्जर का कहना है कि मल्टी क्रॉप में नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है। यदि मौसम फसल के अनुरूप नहीं रहा तो नुकसान होना तय है। इसके अलावा उतना ज्यादा मुनाफा भी नहीं मिल पाता। उन्होने बताया कि इस पद्धति से खेती करने में नुकसान होने की संभावना कम रहती है। यदि एक सब्जी में नुकसान हुआ तो दूसरी से फायदा मिल जाता है। 

उन्होने अपने 30 एकड़ के खेत में मिर्च, शिमला मिर्च, टमाटर, हल्दी, अदरक अलग-अलग स्थानों पर लगाई है। जनवरी माह में तरबूज की फसल लगायेगें। उनका कहना है कि यदि अन्य किसान भी पहले छोटे स्तर पर इसे अपनाकर प्रयोग कर सकते हैं। उन्हे यदि फायदा प्रतीत हो तो धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं और मुनाफा ले सकते हैं। राजेश का मानना है कि परंपरागत खेती में किसान जो मुनाफा दस एकड़ में लेते हैं वे इस प्रकार की खेती से महज एक एकड़ में उतना लाभ कमा सकते हैं।

मशीन पर खर्च किये 18 लाख रुपये

कृषक दिनेश ने बताया कि कम्प्युटराज्ड मशीन पर उन्हे 18 लाख रुपये खर्च करना पड़े हैं। इस मशीन में पूरा प्रोग्राम फीड है जो पौधों को समय पर खाद, पानी, दवा आदि समय पर और तय मात्रा में पहुंचा देता है। इसका फायदा ये कि पौधों को उनकी खुराक के अनुसार ही ये सभी चीजें मिलती हैं। मनुष्य से कई बार गल्तियां हो जाती हैं मगर इसमें गलती की कोई गुंजाइश नही है। वहीं गर्मी, बारिश, ठंड से जो समस्याएं कार्य के दौरान होती है उससे भी  बचा जा सकता है। मेन पॉवर की उपयोगिता शून्य के बराबर हो जाती है।

इस प्रकार से काम करती है मशीन


दिनश गुर्जर ने बताया कि पहले ट्युबवेल के माध्यम से पानी छोटे से तालाब में पहुंचता है। यहां तालाब से पानी दो फिल्टरों में जाता है, ये फिल्टर पानी से मिट्टी, कचरा साफ कर देते हैं और फिर अलग-अलग टंकियों से गुजरते हुए पाइप लाइन से गुजरते हुए ड्रिप सिंचाई होती है। इससे पहले टंकियों में मौजूद युरिया, पोटाश, अमोनियम सल्फेट आदि तय मात्रा में पानी के साथ घुलकर कम्प्युटर में तय प्रोग्राम अनुसार क्रिया स्वत: कर लेता है। जिससे पौधों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंच पाता। खास बात यह भी है कि यदि सिंचाई के दौरान बिजली चली भी जाती है तो बिजली वापस आने पर फिर से कार्य अपने आप शुरू हो जाता है।

दिल्ली और नेपाल तक भेज चुके हैं सब्जियां

30 एकड़ में राजेश गुर्जर ने टमाटर, शिमला मिर्च, अदरक, हल्दी और मिर्च लगा रखी है। उनके खेत की सब्जियां फिलहाल हरदा सहित इंदौर,भोपाल और जबलपुर में सप्लाई हो रही है। पिछले वर्ष उन्होने दिल्ली और नेपाल तक अपने खेत की सब्जियां भेजी थी। इन स्थानों से व्यापारी खुद यहां पहुंचे थे और माल ले गये थे। उन्होने बताया कि यदि इस बार भी उत्पादन अच्छा रहा तो वे फिर से नेपाल और दिल्ली सब्जियां सप्लाई करेगें।

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