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कृषि कानून को लेकर 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान आंदोलन में फूट

कृषि कानून को लेकर 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान आंदोलन में फूट 

दो किसान संगठनों ने की प्रदर्शन वापसी की घोषणा


नईदिल्ली
- गणतंत्र दिवस पर देश की साख में बट्टा लगाने के बाद आज किसान आंदोलन में फूट पड़ गई ओर किसान आंदोलन के दो बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन (भानु) और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने प्रदर्शन वापस लेने की घोषणा कर दी है।

मिडिया से चर्चा करते हुए भारतीय किसान यूनियन (भानु) के ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि मैं कल की घटना से इतना दुखी हूं कि इस समय मैं चिल्ला बॉर्डर से घोषणा करता हूं कि पिछले 58 दिनों से भारतीय किसान यूनियन (भानु) का जो धरना चल रहा था उसे खत्म करता हूं। वहीं, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के वीएम सिंह ने कहा कि मैं किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध नहीं कर सकता, जिसकी दिशा अलग है। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन विरोध प्रदर्शन से पीछे हट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं… ITO में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार की भी गलती है जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी। जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बैठक के बाद बयान जारी कर ट्रैक्टर रैली में जुटने वाले किसानों का आभार जताया है। साथ ही हिंसा की घटनाओं से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि बैठक के बाद यह सामने आया कि केंद्र सरकार आंदोलन से बुरी तरह घबरा गई है, इसलिए वह किसान मंजदूर संघर्ष कमेटी और अन्य संगठनों के साथ मिलकर किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ गंदी साजिश कर रही है। एसकेएम नेताओं ने कहा कि संयुक्त मोर्चा से अलग होकर कुछ संगठन अलग से ही धरना दे रहे थे।

गौरतलब है कि किसानों की ट्रैक्टर रैली में फैली हिंसा में दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों के सामने असहाय नजर आई। इस बीच अब केंद्र सरकार ने राजधानी में पैरामिलिट्री फोर्सेज की 15-20 कंपनियां (करीब 1500-2000 जवान) तैनात करने का फैसला किया है। इस बीच हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर दर्ज की हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अन्य उपद्रवियों को पकड़ने की तैयारियां चल रही हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि लाल किले में जिसने भी हिंसा फैलाई, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। वे लोग आंदोलन का हिस्सा नहीं रह सकते।

बता दें कि दिल्ली में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करने का फैसला गृह मंत्री अमित शाह के घर पर रखी गई बैठक में लिया गया। शाह ने इसी के साथ दिल्ली पुलिस को उपद्रवियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। बता दें कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मद्देनजर पहले ही सुरक्षाबलों के 4500 जवान तैनात थे। अब इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार शाम को ही किसानों की परेड को वापस ले लिया था। सभी किसानों से कहा है कि वे तुरंत प्रदर्शन स्थल पर लौटें। मोर्चे ने कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण जारी रहेगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी। इससे पहले बड़ी तादाद में किसान दिल्ली में प्रवेश कर गए थे। अक्षर धाम और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान बैरिकेड तोड़कर अंदर दाखिल हुए। जिसके बाद किसान लालकिले तक पहुंच गए ।

गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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