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आत्म शुद्धि के पावन पर्व पर्युषण जी का हुआ हर्षोल्लास से समापन

आत्म शुद्धि के पावन पर्व पर्युषण जी का हुआ हर्षोल्लास से समापन

दशलक्षण धर्म के समापन पर नगर मैं निकाली जैन समाज ने श्रीजी की शोभायात्रा


लोकमतचक्र डॉट कॉम।

हरदा । दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों के आत्म शुद्धि के पावन पर्व दशलक्षण धर्म आज अनंत चतुर्दशी को समपन्न हुए। पर्व के समापन पर श्री दिगम्बर जैन समाज ने चांदी के विमान में श्रीजी की शोभायात्रा नगर में निकाली और विश्व शांति तथा प्राणीमात्र के कल्याण की भावना से वृहद शांति धारा नगर के चारों मंदिरों में स्थित समस्त वेदियों पर की गई। मुख्य बड़े दिगम्बर जैन लाल मंदिर में आर्यिका श्री सुबोधमति माताजी के मुखारबिंद से शांतिधारा संपन्न हुई। पर्युषण महापर्व जिसे दशलक्षण पर्व भी बोला जाता है में दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों द्वारा प्रतिदिन दस धर्म की पूजा अर्चना की गई और अपनी अपनी शक्ति के अनुसार तप साधना करते हुए उपवास, एकासना, मौन साधना, निर्जला आदि किया ।

उक्त जानकारी देते हुए जैन समाज के अध्यक्ष सुरेंद्र जैन एवं कोषाध्यक्ष राजीव रविन्द्र जैन ने बताया कि दस दिन चलने वाले इस पर्व में दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों द्वारा उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आंकिचन, उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा की गई। श्री जैन ने बताया कि आज पर्व समापन पर सुबह मंदिर जी मे दशलक्षण मंडल विधान की पूजा अर्चना कर विसर्जन किया गया तथा दोपहर में श्रीजी की शोभायात्रा निकाली गई जो नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए जैन मंदिर पहुंची वहां पर विश्व कल्याण की भावना को लेकर वृहद शांतिधारा की गई जिसका सौभाग्य जैन समाज हरदा के युवाओं के ग्रुप जैनम दिव्य घोष ओर अजित अजमेरा को प्राप्त हुआ। शांति धारा के साथ ही 108 कलशों से श्रीजी अभिषेक किए गए जिसका सौभाग्य अभिषेक रपरिया, समस्त रपरिया परिवार, पवन सिंघई, पंकज सिंघई परिवार, पूनमचंद, आकाश, चेतन लहरी, श्रीमती शकुन गंगवाल परिवार, मुकेश बकेवरिया परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर श्रीजी को स्वर्ण छत्र चड़ाया गया जिसका सौभाग्य अशोक, अभय, आलोक बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ। आरती का सौभाग्य पवन सिंघई परिवार को प्राप्त हुआ।


राजीव रविन्द्र जैन ने बताया कि दिगंबर परम्परा में  दसलक्षण पर्व, 10 धर्मो पर आधिरत होते हैं। इन दस धर्म में उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच,  उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन और उत्तम ब्रह्मचर्य होते हैं। चूंकि हम प्रत्येक दिन एक धर्म की आराधना करते हुए उसे अपने जीवन में अंगीकार करते हैं, और साधना को निरंतर बढ़ाते चले जाते हैं, तो इन्हीं दस धर्मों के कारण इन्हें दसलक्षण महापर्व कहा गया है। इस दौरान प्रतिदिन विश्व कल्याण और आत्म शुद्धि के लिए मन्दिर जी में प्रात:काल श्रीजी के अभिषेक और पूजन अर्चन किया गया एवं आर्यिका सुबोधमति माताजी के प्रवचन हुए। संध्या काल में संगीतमयी आरती करते हुए भक्ति की गई तथा विद्वान पंडित जी के प्रवचन हुए एवं महिला परिषद द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम करवायै गये। पर्व के समापन पर जैन समाज हरदा द्वारा 11 तारिख को परम्परागत रूप से क्षमावाणी महोत्सव मनाया जाएगा।

पर्व के दिनों में जैन समाज के श्रावकों ने दस उपवास निर्जल और केवल जल पर किए थे आज पर्व समापन पर जैन समाज द्वारा सभी त्यागी व्रतियों का सम्मान मंदिर जी में किया गया। आज नगर में निकाली गई श्रीजी की शोभायात्रा मैं पुरूष वर्ग सफेद वस्त्र धारण किए थे तो महिलाओं ने केसरिया वस्त्र। इस दौरान जैनम् दिव्य घोष के युवाओं तथा युवतियों द्वारा धर्म प्रभावना के नारे लगाए। सभी जैन बंधुओं ने श्रीजी की आरती उतारी और जयकारे लगाएं।


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