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जंगी प्रदर्शन : ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर उतरे हजारों किसान


सोयाबीन की एमएसपी 6000 रुपए प्रति क्विंटल की मांग 

जनसैलाब के आगे राजनीतिक पार्टियों की आज तक हुई बड़ी से बड़ी रैलियां भी फीकी पड़ गई


हरदा। सोयाबीन का भाव 6000/- रूपये करने को लेकर जिले के लगभग 25 हजार किसानों ने कल शुक्रवार को जिला मुख्यालय पर 5 हजार ट्रैक्टरों, बैलगाड़ियों, जेसीबी और हार्वेस्टर के साथ उप स्टैंड फटाखा बाजार से कलेक्टर ऑफिस तक विशाल आक्रोश रैली निकाली। किसान रैली इतनी विशाल  थी कि किसानों का पहला ट्रैक्टर कलेक्टर ऑफिस पर था तो आखिरी ट्रैक्टर खंडवा रोड पर कड़ोला नदी से भी पीछे था और वहीं इंदौर रोड पर भी हजारों ट्रैक्टरों के साथ किसान मौजूद थे। किसानों का यह ऐतिहासिक जनसैलाब किसी विशेष संगठन के आह्वान पर नहीं आया था बल्कि यह जिले के समस्त किसानों का कार्यक्रम था।इस जनसैलाब के आगे राजनीतिक पार्टियों कि आजतक हुई बड़ी से बड़ी रैलियां भी फीकी पड़ गई।


विगत एक महीने से संपूर्ण प्रदेश के किसान सोयाबीन के भावों को 6 हजार करने को लेकर मुहीम चला रहे थे। इसी मुहीम के तहत पहले प्रत्येक गाँवो में ग्राम सचिव को मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया था। सरकार की तरफ से सोयाबीन भाव 6 हजार रुपए नहीं किए जाने के कारण हरदा जिले के किसानों ने जनसैलाब के रूप में एकत्रित होकर कलेक्टर को मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों ने बताया कि अगर अभी भी सरकार नहीं मानती है, तो संपूर्ण प्रदेश के किसान मिलकर राजधानी भोपाल का घेराव भी करेंगे।


मालूम हो की प्रदेश में सोयाबीन फसल किसानों की आर्थिक उन्नति का प्रमुख स्रोत है। किंतु दिन प्रतिदिन सोयाबीन का भाव कम होता जा रहा है एवं लागत बढ़ती जा रही है।वर्तमान में सोयाबीन का भाव 3500-4000 रुपए प्रति क्विंटलहै। कम भाव की वजह से किसानों की वित्तीय स्थिति कमजोर होती जा रही हैएवं वह कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है। साल 2012 से तुलनाकरें, तो डीजल,खाद, कीटनाशक खरपतवारनाशक आदि जैसी खेती मेंलगने वाली वस्तुओं के दामों में200 फीसदी से अधिक वृद्धि हुई है, जबकि पिछले दस साल मेंसोयाबीन के दाम जस के तस है। वित्तीय वर्ष 2024-25 केलिए केंद्र सरकार की ओर से सोयाबीन के लिए 4892 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया, किंतु किसानों की फसल इससे भी नीचे बिक रही है।


जबकि यह घोषित समर्थन मूल्य लागत के अनुसार बहुत कम है एवं 4892 के भाव में भीकिसानों को घाटा है। किसानों की मांग है कि सोयाबीन का भाव कम से कम 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल हो, तभी उन्हें लागत के आधार लाभकारी मूल्य मिल पाएगा। साथ ही किसानों ने ज्ञापन में अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों का सर्वे कर आरबीसी 6-4 के तहत उचित राहत राशि एवं बीमा क्लेम की कार्यवाही की जाने की मांग की। किसानों ने अपने ज्ञापन में सोयाबीन की खेती में प्रति एकड़ लगने वाली लागत भी क्रमवार समझाया। इस दौरान हजारों किसान मौजूद थे।



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