महाकाल लोक को राष्ट्र को समर्पित कर बोले PM मोदी, जहाँ महाकाल हैं, वहां कालखंडों की सीमाएं नहीं हैं
महाकाल लोक को राष्ट्र को समर्पित कर बोले PM मोदी, जहाँ महाकाल हैं, वहां कालखंडों की सीमाएं नहीं हैं
प्रधानमंत्री मोदी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने
श्री महाकाल लोक में निर्मित भित्ति चित्रों, स्तंभों एवं प्रतिमाओं में वर्णित शिव लीलाओं की जानकारी दी। इस दौरान राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने श्री महाकाल लोक में भगवान श्री शंकर की ध्यानस्थ प्रतिमा, सप्तर्षि मंडल आदि का अवलोकन किया। इसके बाद उन्होंने ई-कार्ट में बैठ कर 900 मीटर लम्बे ‘श्री महाकाल लोक’ परिसर में निर्मित नयनाभिराम धार्मिक-आध्यात्मिक और शिव लीला पर आधारित कला रूपों का अवलोकन किया।
विप्र समूह ने समवेत स्वरों में सस्वर वेद मंत्रों का पाठ किया। भगवान शंकर की लीलाओं की कलाकृतियों, वैदिक मंत्रोच्चार, कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों के बीच श्री महाकाल लोक जीवंत हो उठा। भारत सहित दुनिया के 40 देश इस आध्यात्मिक, अलौकिक, अद्वितीय एवं अदभुत अनुभूति के साक्षी बनें।
राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में सिंहस्थ-2016 में उज्जैन में विश्व स्तरीय अधो-संरचना का विकास किया गया। मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में बनारस कॉरिडोर की तर्ज पर अब ‘श्री महाकाल लोक’ बनाया गया है। योजना के प्रथम चरण में भगवान श्री महाकालेश्वर के आँगन में छोटे और बड़े रूद्र सागर, हरसिद्धि मन्दिर, चारधाम मन्दिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है।
लोकार्पित प्रथम चरण में 350 करोड़ से महाकाल प्लाजा, महाकाल कॉरिडोर, मिड-वे झोन, महाकाल थीम पार्क, घाट एवं डेक एरिया, नूतन स्कूल कॉम्पलेक्स, गणेश स्कूल कॉम्पलेक्स का कार्य पूर्ण हो चुका है। महाकाल कॉरिडोर के प्रथम घटक में पैदल चलने के लिये उपयुक्त 200 मीटर लम्बा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊँची एवं 500 मीटर लम्बी म्युरल वाल बनाई गई है। साथ ही 108 शिव स्तंभ, शिव की मुद्राओं सहित विविध प्रतिमाएँ निर्मित हो चुकी हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रही हैं। लोटस पोंड, ओपन एरिया थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया, ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिये मार्ग भी बनाये गये हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा गया है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि यह पानी स्वच्छ भी रहे।
श्री महाकाल लोक के दूसरे चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा, जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुन: उपयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश कर महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण किया जायेगा। दूसरे चरण के कार्य 2023-24 में पूर्ण होंगे।
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